Wednesday 16 September 2020

हिन्दू शब्द का अर्थ है काफिर, काला, चोर, गुलाम, हिन्, गलिच्छ

जी हां इंटरनेट पर इस तरह के बयान-बजी  (स्टेटमेंट) आपको सैकड़ों लेख में मिल जाएंगे। आपको यूट्यूब पर भी इस प्रकार के अनेकों वीडियो मिलेंगे जहां पर हिन्दू, हिन्दूवा, हिन्दवी, हिन्द, हिंदुस्तान या फिर हिंदुस्तानी के सम्बन्ध में ऐसे शब्दों का प्रयोग किया गया है। मेरा यह लेख उन लोगों को जवाब देने के लिए है जिन लोगों ने हिन्दु या हिंदुस्तानी शब्द को गलत तरीके से या तोड़ मरोड़ कर प्रस्तुत किया है। नीचे लिखें ऐसे ही कुछ स्टेटमेंट को गलत सिद्ध कर रहा हूं :- 



स्टेटमेंट - १.

"हिन्दू (ही+न+दू=हिन्+दू) इस शब्द का पर्शियन भाषा मे अर्थ है काला, चोर, गुलाम. और शब्दशः अर्थ है हिन् घानेरडा, गलिच्छ. "


स्पस्टीकरण

उपरोक्त लेख के लेखक के अनुसार भारत को हिंदू, हिंदी, हिंदुस्तान आदि शब्दों का परित्याग कर देना चाहिए। क्योंकि हिंदू शब्द फारसी शब्द से आया है। जी हां लेखक उस पारस देश की बात कर रहे हैं जो आज ईरान देश का एक सुबा यानि राज्य है। परंतु यह तो कोई तर्क नहीं हुआ की किसी एक शब्द का मतलब दूसरे देश में चोर, डाकू, लुटेरा है तो हमारे देश में भी उसका अर्थ वही होगा। किसी भी शब्द का अर्थ वह होता है जो हम स्वयं निर्धारित करते हैं ना कि हम किसी और पर निर्भर रहते हैं कि वहां पर इसका क्या अर्थ है हम दूसरे के विचार से अपने शब्द का अर्थ नहीं बदल सकते। जैसे कि "उसके नाम का कुत्ता पालूं" साधारण: लोग दुश्मन के नाम से अपने पालतू कुत्ता का नाम रखते हैं अर्थात जो नाम उनके दुश्मन का होता है वही नाम अपने कुत्ते का भी रख लेते है। इस तरह से हिंदू शब्द बहुत पहले से रहा है परन्तु जब इस्लामिक कंट्री कट्टरपंथी अपने चरम पर थे और भारत मुगलों का इस्लामिक कट्टरपंथियों का गुलाम था उस समय हिंदू शब्द को अरबी और फारसी डिक्शनरी में तोड़ मरोड़ कर प्रस्तुत किया गया जैसे कि अंग्रेजों ने इंडिया का अर्थ उन्नीस सौ साल में प्रकाशित ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी में प्रस्तुत किया था लेकिन आज ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी में इंडियन शब्द का अर्थ वह नहीं है जो 19 सौ साल में प्रकाशित शब्दकोश में था।

अब हम एक और उदाहरण से इसे समझने की कोशिश करते हैं उदाहरण के लिए सेंट्रल (मध्य) अफ्रीका में एक देश है जिसका नाम है बुरुंडी तो क्या बुरुंडी देश के लोगों को अपने देश का नाम बदल कर कुछ और रख लेना चाहिए। क्योंकि उत्तर भारत के कुछ हिस्सों में बुरुंडी एक अश्लील व अत्यंत ही असभ्य शब्द है। बांग्लादेश के प्रथम राष्ट्रपति का नाम था मुजीबुर्रहमान। उर्दू भाषा में मुजीबुर एक अत्यंत चर्चित नाम है परन्तु हिंदी या नेपाली भाषा में यह एक अश्लील शब्द है तो क्या अब उर्दू भाषा की शब्दकोश से मुजीबुर शब्द को हटा देना चाहिए। इस प्रकार के अनेकों उदाहरण दिए जा सकते हैं। परंतु क्या ऐसे तर्क अपने आप में पर्याप्त हैं किसी देश का नाम या किसी आस्था से जुड़े शब्द का प्रयोग रोकने के लिए या उस शब्द को अपने शब्दकोश से हटाने के लिए।

उपरोक्त लेख के लेखक से हमारा नम्र निवेदन है की कृपा करके आप कुछ ऐसा संदर्भ प्रस्तुत करें जो विश्वसनीय हो क्योंकि यहां 130 करोड़ लोगों के जीवन शैली का सवाल है जो लोग अपने आप को हिंदू कहते हैं। हमको यह पता नहीं है कि आर्य या सनातन शब्द कब, कहां, कैसे, क्यों और किस वजह से हिंदू  बना। परन्तु जब से हमारा जन्म हुआ तब से हम हिंदू है। तो इससे कोई मतलब नहीं बनता कि पारसी डिक्शनरी में हिंदू का क्या मतलब है।उदाहरण के लिए इस्लाम का अल्लाह शब्द संस्कृत के अल्लाह शब्द से बना है। जिसका अर्थ है देवी अर्थात देवी या शक्ति की आवाहन के लिए संस्कृत में अल्लाह शब्द का प्रयोग होता है। जैसे या देवी सर्वभूतेषु .... और इस्लाम में या अल्लाह .....  परन्तु किसी भी मुसलमान ने कभी यह नहीं कहा की चुकी संस्कृत में अल्लाह का अर्थ देवी होता है तो मैं अपने अल्लाह के लिए कुछ और शब्द का चयन करुं। क्योंकि अपने अपने हिसाब से सब ने अल्लाह शब्द का मतलब सुनिश्चित किया है तो इससे मुसलमानों कोई फर्क नहीं पड़ता कि संस्कृत में देवी को अल्लाह कहते हैं। उसी प्रकार इस बात से भी कोई फर्क नहीं पड़ता कि फारसी डिक्शनरी में हिंदू का क्या अर्थ है। इसलिए आप इस देश की बात कीजिए क्या भारत के अंदर भी हिंदू का कुछ और मतलब है। क्या आप भारत के संविधान को जानते हैं, भारत की न्यायपालिका को जानते हैं, सुप्रीम कोर्ट ने भी हिंदू का कुछ मतलब बताया है क्या उससे अवगत है। इन सब बातों को नजरअंदाज करके और हिन्दु शब्द को तोड़ मरोड़ कर प्रस्तुत करके क्या सिद्ध करना चाहते हैं। आप जो सन्दर्भ बता रहे हैं वह स्वीकृत नहीं है। मेहरबानी करके ऐसी अनर्थक बातें बताकर, बातों को तोड़ मरोड़ कर हिंदू शब्द को बदनाम ना करें।

आप अंतर्राष्ट्रीय शब्दकोश में हिंदू शब्द का अर्थ समझ ले फिर कुछ कहें। अंतर्राष्ट्रीय शब्दकोश आज का एक्सेप्टेड शब्दकोश है। हिन्दू शब्द का अर्थ आपको इंटरनेट पर मिल जाएगा।आप स्वयं को हिंदू से अलग कर लीजिए हमें कोई आपत्ति नहीं है परंतु जो हिंदू है उनके संबंध में आप इस प्रकार के आपत्तिजनक टिप्पणी नहीं कर सकते भारत का संविधान सब को बोलने का अधिकार देता है परंतु किसी की आस्था को, किसी की जीवन शैली को दबाव पूर्वक बदलने का अधिकार नहीं देता है। आप यह नहीं कह सकते कि हिंदू शब्द एक गाली है।भारत में हिंदू शब्द का मतलब गाली नहीं होता है, जीवन शैली होती है। अंतर्राष्ट्रीय शब्दकोश में भी हिंदू शब्द का मतलब गाली नहीं होता है, जीवन शैली होता है। यदि कोई मुसलमान अरब देश जाता है तो अरब देश के मुसलमान भारत के मुसलमान को अरब में हिंदू कह कर संबोधित करते हैं। यदि हिंदू शब्द गाली होता तो एक मुसलमान दूसरे मुसलमान को हिंदू कहकर सम्बोधित नहीं कहता। हिंदू शब्द कोई गाली नहीं है आप पहले इसका गहन अध्ययन करें उसके बाद किसी प्रकार का लेख इसके ऊपर लिखे तो अच्छा रहेगा। ईरान देश के अंदर फारसी भाषा में हिंदू शब्द का मतलब गाली हो सकता है। किंतु इसका अर्थ यह कदापि नहीं हो सकता कि भारत में भी हिंदू शब्द का अर्थ गाली हो।

अंतरराष्ट्रीय शब्दकोष और केरीब्राउन के अनुसार (हिंदुत्व वेबस्टर के अँग्रेजी भाषा के तृतीय अन्तर्राष्ट्रीय शब्दकोष के विस्तृत संकलन) :-

यह सामाजिक, सांस्कृतिक एवं धार्मिक विश्वास और दृष्टिकोण का जटिल मिश्रण है। यह भारतीय उप महाद्वीप में विकसित हुआ। यह जातीयता पर आधारित, मानवता पर विश्वास करता है। यह एक विचार है जो कि हर प्रकार के विश्वासों पर विश्वास करता है तथा धर्म, कर्म, अहिंसा, संस्कार व मोक्ष को मानता है और उनका पालन करता है । यह ज्ञान का रास्ता है स्नेह का रास्ता है । जो पुनर्जन्म पर विश्वास करता है । यह एक जीवन पद्धति है जो हिन्दू की विचारधारा है।


अँग्रेजी लेखक केरीब्राउन ने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक ‘द इसेन्शियल टीचिंग्स ऑफ हिन्दुइज्म' में अपने विचार इन शब्दों में व्यक्त किये हैं –

आज हम जिस संस्कृति को हिन्दू संस्कृति के रूप में जानते हैं और जिसे भारतीय सनातन धर्म या शाश्वत नियम कहते हैं वह उस मजहब से बड़ा सिद्धान्त है जिस मजहब को पश्चिम के लोग समझते हैं। कोई किसी भगवान में विश्वास करे या किसी ईश्वर में विश्वास नहीं करे फिर भी वह हिन्दू है। यह एक जीवन पद्धति, है यह मस्तिष्क की एक दशा है।


भारत के सुप्रीम कोर्ट ने हिंदुत्व को "भारतीयों की जीवन शैली" के रूप में परिभाषित किया है

छत्रपति शिवाजी महाराज हिंदू राष्ट्र की स्थापना करना चाहते थे।

महान चिंतक व स्वतंत्रता सेनानी वीर सावरकर जी ने हिंदुत्व को अपनाया था।

डॉ राधाकृष्णन ने अपनी पुस्तक "द हिंदू व्यू ऑफ लाइफ" में कहा हिन्दुत्व सामाजिक जीवन पर जोर देता है और उन लोगों को साथी बनाता है जो नैतिक मूल्यों से बँधे होते हैं। यह कोई संप्रदाय नहीं है बल्कि उन लोगों का समुदाय है जो दृढ़ता से सत्य को पाने के लिये प्रयत्नशील हैं।

स्वामी विवेकानन्द ने कहा था -"हिन्दुत्व कोई धर्म नहीं है, यह एक उत्तम जीवन पद्धति है" ।

महात्मा गांधी हिंदुत्व को मानवता के प्रति सेवा का ध्येय मानते थे। उनके लिए जीव ही शिव है। मानव सेवा ही प्रभु सेवा है। यह भावना ही महात्मा गांधी को राजनीति की ओर खींच लाई।

जवाहरलाल नेहरू अपनी किताब "डिस्कवरी ऑफ इंडिया" में यह लिखा है कि हिंदू व Indo शब्द सिंधु से बना है उन्होंने भी हिंदू शब्द को गालि या किसी अन्यथा नहीं लिया है।

डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जी हिंदुत्व को नापसंद करते थे। परंतु उन्होंने ऐसा कहीं नहीं कहा है कि हिंदू शब्द का अर्थ गाली है उनको हिंदुत्व की राजनीती से घृणा थी ना कि हिंदू शब्द से। यदि आपको लगता है कि बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर के संपूर्ण विचारों के बारे में मुझे पता नहीं है या फिर बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर जी अपने किसी भी रचना में हिंदू शब्द का अर्थ गाली बताया है तो कृपया कमेंट करें।

भारत के किसी भी स्वतंत्रता सेनानी ने हिंदू शब्द का अर्थ गाली के रूप में नहीं लिया है बल्कि भारतीय जीवन शैली के रूप में लिया है। हिंदूराष्ट्र के संबंध में लोगों के विचारधारा अलग हो सकते हैं परंतु हिंदू शब्द गाली है ऐसा किसी ने नहीं माना है।


यदि किसी लेखक को इस संबंध में कोई डिबेट करना है तो मैं उनका स्वागत करूंगा आप जब और जहां बोलो मैं इस डिबेट के लिए तैयार हूं कि हिंदू शब्द फारसी शब्द के आने से पहले से था और फारसी व अरबी में सिर्फ हिंदू शब्द को बदनाम करने के लिए उसके अर्थ को तोड़ मरोड़ कर प्रस्तुत किया गया है अगर किसी में हिम्मत है तो मेरे साथ डिवेट करिए मुझे खुशी होगी।



स्टेटमेंट - २.

"हिन्दू शब्द का अर्थ है काफिर"

स्पस्टीकरण

हिंदू शब्द सिंधु से बना है और इसका मतलब काफिर कदापि नहीं है काफिर का मतलब मैं अपने अगले लेख में बताऊंगा यहां मैं इतना ही कहूंगा कि हिंदू शब्द को दुर्भावना से ग्रसित होकर तोड़ मरोड़ कर प्रस्तुत किया गया है। हिंदू शब्द का अर्थ काफिर बिल्कुल नहीं है। हिंदू शब्द सिंधु से बना है और उर्दू शब्द की उत्पत्ति के पहले से बना है इसलिए हिंदू शब्द का अर्थ काफिर नहीं है। काफ़िर का अर्थ में अपने अगले लेख में प्रस्तुत करूंगा।



स्टेटमेंट - ३.

"कौन हैं हिन्दू, नहीं जानती केंद्र सरकार : RTI

नई दिल्ली. भारतीय संविधान और कानूनों की रोशनी में हिन्दू शब्द के आशय और परिभाषा के बारे में केंद्र सरकार से आरटीआई के तहत जानकारी मांगी गई, लेकिन ये जानकारी सरकार उपलब्ध नहीं करा सकी. मध्यप्रदेश के नीमच निवासी आरटीआई कार्यकर्ता ने बताया कि उन्होंने केंद्र सरकार से आरटीआई के तहत पूछा था कि भारतीय संविधान और कानूनों के अनुसार हिन्दू शब्द का अर्थ और परिभाषा क्या है? उन्होंने कहा कि मेरी आरटीआई पर गृह मंत्रालय की ओर से भेजे गए जवाब में कहा गया कि केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी के पास अपेक्षित सूचना उपलब्ध नहीं है. आरटीआई कार्यकर्ता ने बताया कि उन्होंने अपने आवेदन में सरकार से ये जानना चाहा था कि देश में किन आधारों पर किसी समाज को हिन्दू माना जाता है और हिन्दूओं को बहुसंख्यक के तौर पर देखा जाता है। लेकिन गृह मंत्रालय की ओर से सिर्फ यहीं जवाब दिया गया कि उपरोक्त सूचना सीपीआईओ के पास उपलब्ध नहीं है."


स्पस्टीकरण

आप लोगों की जानकारी के लिए बता दूँ कि सूचना का अधिकार यानी आर टी आई कानून ऐसे ही लोगों के उट पटांग सवालों के कारण बंद कर दिया गया है। इस कानून के तहत शायद आखरी सवाल यह था की यदि एलियन भारत पर हमला कर दें तो भारत सरकार इससे बचने के लिए क्या कदम उठाए हैं। इसके बाद से सूचना का अधिकार यानी आर टी आई कानून को रद्द कर दिया गया। क्योंकि इस देश में कुछ लोगों को बोलने का कुछ ज्यादा ही अधिकार मिल चुका है जी हां ऐसा ही यह सवाल है। 1965 से लेकर के 1995 के बीच में सुप्रीम कोर्ट के विभिन्न फैसलों में हिंदू शब्द को परिभाषित किया गया है और कहा गया है कि हिंदू शब्द का अर्थ है "भारतीयों की जीवन शैली"। इसके बावजूद आरटीआई से सवाल क्यों किया जाया। यह एक वेबुनियादी स्टेटमेंट है, वास्तव में ऐसा कुछ भी नहीं हुआ है।



स्टेटमेंट - ४.

"मुसलमानों ने, मुस्लिम हमलावरों ने, मुगलों ने हिंदू शब्द हमें दिया है परन्तु हम हिंदू नहीं सनातन हैं, हम आर्य हैं "

स्पस्टीकरण

यदि मुसलमानों ने हिंदुओं को हिंदू नाम दिया है तो भला भारतिय मुसलमानों को अरब आदि देशों में हिंदू क्यों कहा जाता है। अंतर्राष्ट्रीय शब्दकोश में बताई गई हिंदू शब्द की परिभाषा के आधार पर अरबी मुसलमान भारतीय मुसलमान को हिंदू कहते हैं। अरब आदि देशों से व यूरोप के देशों के साथ हमारा व्यापार बहुत ही पुराना है। इस्लाम के जन्म के पहले भी अरब के व्यापारी भारत से व्यापार करते थे। इसलिए यह कहना कि मुसलमानों ने हमें हिंदू शब्द दिया या मुस्लिम आक्रमणकारियों ने हमें हिंदू नाम दिया यह तर्क उचित नहीं है। अरब आदि देशों के व्यापारियों ने हमें हिंदू नाम दिया होगा परंतु इसका अर्थ यह नहीं कि मुसलमानों ने या मुस्लिम आक्रमणकारियों ने या मुगलों ने हमें हिंदू नाम दिया यह कथन बिल्कुल असत्य है।



स्टेटमेंट - ५.

"हिन्दू शब्द के उत्पत्ति का रहस्य है हिमालय से प्रथम अक्षर हि है और इंदु चंद्रमा के पर्यायवाची शब्द है जिससे भारतीय काल गणना किया जाता है से अंतिम अक्षर लिया गया है यानी इनदु यानी हिन्दू शब्द बना है"


स्पस्टीकरण

ऐसा नहीं है की हिमालय की "ह" और चन्द्रमा से इंदु ले लिए और हमने हिंदू बना दिया इसके पीछे कोई औचित्य नहीं है। कोई तर्क नहीं है कि ऐसा क्यों किया। यह उन लोगों ने बताया है जो हिंदू शब्द को सही तरीके से सिद्ध नहीं कर पाए कि हिंदू शब्द अरबी और उर्दू शब्द की उत्पत्ति के पहले से रहा है और यह सिंधु से बना है।


यदि किसी पाठक को ऐसा प्रतीत होता है कि इस लेख में दी गई जानकारी (लिखने में या समझने) में कुछ कमी है या गलती है तो ऐसे पाठकों से नम्र निवेदन है कि आप अपना विचार कमेंट के माध्यम से हमें दें हम अवश्य उनके कॉमेंट के आधार पर अपने इस लेख में (आवश्यकता अनुसार) परिवर्तन करेंगे।


यदि मेरा यह लेख आपको अच्छा लगे तो कृपा करके शेयर अवश्य करें और अपना कमेंट करें। 

धन्यवाद 






Saturday 5 September 2020

इंडियन शब्द का अर्थ है बास्टर्ड अर्थात हरामि संतान

जी हां इंटरनेट पर इस तरह के बयान-बजी  (स्टेटमेंट) आपको सैकड़ों लेख में मिल जाएंगे। आपको यूट्यूब पर इस प्रकार के अनेकों वीडियो मिलेंगे जहां पर इंडिया या इंडियंस के सम्बन्ध में ऐसे शब्दों का प्रयोग किया गया है। मेरा यह लेख उन लोगों को जवाब देने के लिए है जिन लोगों ने इंडिया या इंडियन शब्द को गलत तरीके से या तोड़ मरोड़ कर प्रस्तुत किया है। नीचे लिखें ऐसे ही कुछ स्टेटमेंट को यहां पर गलत सिद्ध कर रहा हूं :-



स्टेटमेंट - १. 
“Indian” शब्द का अर्थ है हरामी संतान, आपने पढ़ा होगा अंग्रेजोँ के समय मेँ सिनेमाघरोँ और कई सार्वजनिक जगहोँ पर “Dogs and Indians are not allowed”  का बोर्ड लगा रहता था इसी से आप समझ सकते हैँ अंग्रेज के लिये इंडियन्स की क्या वैल्यू थी।
स्पस्टीकरण 
इंडियन शब्द का अर्थ है भारतीय। इसकी पुष्टि हमारा संविधान करता है। हमारा संविधान कहता है "इंडिया दैट इज भारत"। जिस समय हमारा देश अंग्रेजों का गुलाम था उस समय बात कुछ और थी। गुलाम के बारे में कोई भी कुछ भी बोल सकता है लेकिन आज हम अंग्रेजों को खदेड़ कर उनके देश वापस कर चुके हैं। आज किसी की ऐसी हिम्मत नहीं है, जैसा कि इस लेख में बताया गया है। आज इंडियन मतलब भारतीय ही होता है  और जो लोग खुद की बुराई खुद निकालकर अपने आप को महान समझ रहे हैं, वस्तव में उन से बड़ा मूर्ख दुनिया में और कोई नहीं है। हम तो भारतीय हैं।  

स्टेटमेंट - २. 
यदि आप ऑक्सफ़ोर्ड की पुरानी डिक्शनरी (Oxford Dictionary) खोलें तो पृष्ठ नं० 789 पर लिखा है Indian जिसका मतलब बताया गया है कि “old-fashioned & criminal peoples” अर्थात् पिछड़े और घिसे-पिटे विचारों वाले अपराधी लोग। 
स्पस्टीकरण 
1900 साल में प्रकाशित ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी के पेज नंबर 789 में बताए गए इंडियन शब्द का मतलब उस जमाने में ब्रिटिश हुकूमत के आदेश अनुसार लिखा गया था। और जिस तरह से हम लोगों ने (अर्थात हमारे पूर्वजों ने ) ब्रिटिश को भगाकर उनके देश पहुंचा दिया। उसी तरह से ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी को भी अपने उस एडिशन (प्रकाशन) को बदलना पड़ा। आज के वर्तमान समय में ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी में आप देख लीजिए इंडियन का मतलब भारतीय मिलेगा ना कि कुछ और आज दुनिया में किसी भी देश की इतनी क्षमता नहीं है कि वह भारत के 130 करोड़ नागरिकों के बारे में किसी भी तरह की आपत्तिजनक टिप्पणी कर सकें।आज इंडिया का मतलब भारत और इंडियन का मतलब भारतीय है और आगे भी रहेगा इसमें कोई संशय नहीं है।


स्टेटमेंट - ३. 
Indian का एक अर्थ है “वह व्यक्ति या दंपत्ति जिसके माता-पिता का विवाह चर्च में नहीं हुआ हो” । अर्थात “Indian” शब्द का अर्थ है उस दंपत्ति से पैदा संतानें जो की चर्च में विवाह न होने के कारण नाजायज हैं मतलब कि बास्टर्ड या फिर हरामी संतान |  
स्पस्टीकरण 
जैसा कि मैंने उपरोक्त उत्तर में इंडिया का मतलब भारत और इंडियन का मतलब भारतीय स्पष्ट कर दिया है तो इस पर अब आगे कुछ कहने की आवश्यकता नहीं है। चूँकि उस समय भारत कमजोर था, गुलाम था तो चाहे जिस ने जैसे भी संबोधित किया हो। परन्तु आज किसी की हिम्मत नहीं है कि भारतीय को अपशब्द कहे या अपशब्द कह कर संबोधित करें। 


स्टेटमेंट - ४. 
ब्रिटेन में वहां के नागरिकों को “इंडियन” कहना क़ानूनी अपराध है।

स्पस्टीकरण 
ब्रिटेन में वहां के नागरिकों को इंडियन कहना अपराध है। मेरा एक सवाल है क्या एक भारतीय को पाकिस्तानी, अफ्रीकी या अन्यथा कहना अच्छा है। यह तो हर देश में गलत है इस में नया क्या है लेख लिखने वालों को शायद इससे कुछ अंतर नहीं पड़ता हो परंतु मैं अपना बात कहता हूं कि मैं एक भारतीय हूं मैं एक इंडियन हूं और यदि मुझे कोई किसी और देश का नागरिक बताएगा तो निश्चित तौर पर मै उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करूंगा। क्योंकि मैं इंडियन हूं पाकिस्तानी, अफ्रीकी या अन्यथा नहीं हूं। मुझे लगता है कि  ऐसे असभ्य लेखकों को उनके सवाल का जवाब अवश्य मिल चुका होगा जो इस तरह से सच्चाई को तोड़ मरोड़ कर प्रस्तुत कर रहे हैं। 

स्टेटमेंट - ५. 
दुनिया में लगभग 200 देश है उन सभी देशों के पास अपनी एक विशेष पहचान और एक खास नाम है इन 200 देशों में केवल भारत ही एकमात्र ऐसा देश है जिसकी ऑफिसियली  2 नाम है इंडिया और भारत। हमारे संविधान में भी इन्हीं दोनों नामों को स्वीकृति दी गई है। संविधान की प्रस्तावना में लिखा है इंडिया अर्थात भारत देश। इसका मतलब यह हुआ कि देश के 2 नाम हैं सरकारी तौर पर गवर्नमेंट ऑफ इंडिया भी कहते हैं और भारत सरकार भी कहते हैं।
स्पस्टीकरण 
ऐसे विचार सुनकर मुझे हंसी आती है कि इस लेख के लेखक क्या भारत के संविधान रचयिता डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जी से भी ज्यादा महान, शिक्षित, विद्वान, और दुनिया देखे हुए हैं। मेरे नजरिए में तो शायद एक-दो ऐसे लोग हो जो पूरी दुनिया देखे हो उनमें से डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जी एक थे। अगर ज्ञान की बात की जाए तो मैं समझता हूं डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जी के पास जो ज्ञान था वह ज्ञान आज भी शायद किसी भी भारतीय में नहीं होगा और ऐसे लोग यह कहते हैं कि भारत में ऑफिशियली दो नाम है इंडिया और भारत। मैं उनको ज्यादा कुछ नहीं बोलूंगा इतना कहूंगा कि हमारे संविधान के रचयिता डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जी पर थोड़ा सा विश्वास करें, भारत के संविधान पर विश्वास करें और इस तरह के अपने लेख को हो सके तो इंटरनेट से हटा ले। यह स्वयं उन्हीं लेखकों के लिए भी शर्म की बात है। क्योंकि वे जाने अनजाने में डॉक्टर भीमराव अंबेडकर जी को चैलेंज कर रहे हैं। वैसे जानकारी के लिए यह बतादूँ कि दुनिया में बहुत से देश हैं जिनकी एक से अधिक नाम है। आप लोग गूगल में सर्च कर लो आपको उत्तर मिल जाएगा। जैसा कि उदाहरण में दिया गया है कि जापान का एक नाम है जी नहीं जापान के भी एक से अधिक नाम है आप गूगल में सर्च कर लो। 

स्टेटमेंट - ६. 
“भारत” या “इंडिया”  इस देश का क्या नाम है ? सरकार से यही सवाल लखनऊ की सामाजिक कार्यकर्ता ने पूछ कर केंद्र सरकार को मुश्किल में डाल दिया है सूचना के अधिकार क़ानून यानी आर0 टी0 आई0  के तहत पूछा है कि सरकारी तौर पर भारत का क्या नाम है? उनके इस सवाल ने सरकारी दफ्तरों में हलचल मचा दी है क्योंकि सरकार के पास फिलहाल इसका कोई जवाब नहीं है। 
स्पस्टीकरण 
आप लोगों की जानकारी के लिए बता दूँ कि सूचना का अधिकार यानी आर टी आई कानून ऐसे ही लोगों के उट पटांग सवालों के कारण बंद कर दिया गया है। इस कानून के तहत शायद आखरी सवाल यह था की यदि एलियन भारत पर हमला कर दें तो भारत सरकार इससे बचने के लिए क्या कदम उठाए हैं। इसके बाद से सूचना का अधिकार यानी आर टी आई कानून को रद्द कर दिया गया। क्योंकि इस देश में कुछ लोगों को बोलने का कुछ ज्यादा ही अधिकार मिल चुका है जी हां ऐसा ही यह सवाल है, कुछ बचकाने से सवाल। संविधान के प्रथम पृष्ठ पर लिखा हुआ है कि इंडिया मतलब भारत तो क्या इसके बावजूद भी केंद्र सरकार को जवाब देने में दिक्कत आई है। जी नहीं हमें लगता है यह कोई सवाल ही नहीं है और अगर किसी ने ऐसा सवाल किया है तो यह अत्यंत मूर्खतापूर्ण है। क्योंकि इंडिया मतलब भारत यह बात संविधान में स्पष्ट रूप से बताया गया है। फिर इंडिया और भारत जैसे सवाल उठने ही नहीं चाहिए और केंद्र सरकार को ऐसे सवाल स्वीकृत भी नहीं करने चाहिए। यह अनावश्यक विवाद बनाया जा रहा है अपना लेख लोगों तक पहुंचाने के उद्देश्य से यह बेतुकी बात है। 

स्टेटमेंट - ७. 
"INDIAN" शब्द का वास्तविक अर्थ जानकर,शर्म से डूब जाएंगे आप।
स्पस्टीकरण 
शर्म हमें क्यों आए शर्म तो उनको आनी चाहिए जो गलत लिखते हैं, गलत छापते है। चाहे आप लेख के लेखक हो या फिर ऑक्सफोर्ड के प्रकाशक हम तो इंडियन है। हमारा संविधान हमें इंडियन का नाम दिया और है यह संविधान हमारा है। हम तो अपने इंडियन होने पर गर्व करते हैं। शर्म से डूब मरे वे लोग जिनको इंडियन होने पर गलत महसूस होता है, शर्म से डूब मरे ऐसे लेखों के लेखक जो इंडियन होने पर आपत्ति जताते हैं, दूसरों को बरगलाते है। ऐसे लेखक स्वयं क्यों नहीं डूब मरते। जिनको अपने संविधान का पता नहीं है,  देश के इतिहास का पता नहीं है, और चले हैं दुनिया को पाठ पढ़ाने।


स्टेटमेंट - ८. 
“इंडियन” शब्द शत प्रतिशत गुलामी का प्रतीक है नफरत भरा शब्द है क्योंकि जो लोग ईसाई चर्चों की मान्यताओं के अनुसार विवाह नहीं करते थे उन्हें ‘इंडियन’ कहा जाता है।
स्पस्टीकरण 
यह कहना सत प्रतिशत अनुचित होगा कि “इंडियन” शब्द गुलामी का प्रतीक है। “इंडियन” सब गुलामी का प्रतीक नहीं है बल्कि गुलामी के समय में “इंडियन” का तात्पर्य (अर्थ ) अंग्रेजों ने अलग बनाया था। “इंडियन” शब्द नफरत भरा नहीं है बल्कि जब “इंडियन” ब्रिटिश का गुलाम था उस जमाने में नस्लवाद और रंगभेद अपने चरम पर था और यह न सिर्फ “इंडिया” में अपितु अनेकों देश में नस्लवाद और रंगभेद का भाव व्याप्त था। 
आज के परिप्रेक्ष्य में ऐसा कहीं नहीं लिखा है कि "जो लोग ईसाई चर्चों की मान्यताओं के अनुसार विवाह नहीं करेंगे उन्हें ‘इंडियन’ कहाजाएगा" “इंडियन” शब्द को लेकर अनावश्यक भ्रम क्यों फैला रहे हैं जिसका कोई आधार (प्रमाण) ही नहीं है। आज के किसी भी डिक्शनरी में आपको “इंडियन” शब्द का मतलब भारतीय मिलेगा। 

स्टेटमेंट - ९. 
“हमें सुबूत चाहिए कि किसने और कब इस देश का नाम “इंडिया” रखा ? या भारत को “इंडिया” कहने का फैसला कब किसके द्वारा लिया गया ?”
स्पस्टीकरण 
भारत का संविधान “इंडिया” नाम की पुष्टि करता है और संपूर्ण विश्व इस पुष्टिकरण का आदर करता है। इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि “इंडिया” शब्द (नाम) की उत्पत्ति कब कैसे और किसके द्वारा की गई। यही सत्य है कि भारत का नाम “इंडिया” है और मै एक इंडियन हूँ। 


यदि किसी पाठक को ऐसा प्रतीत होता है कि इस लेख में दी गई जानकारी (लिखने में या समझने) में कुछ कमी है या गलती है तो ऐसे पाठकों से नम्र निवेदन है कि आप अपना विचार कमेंट के माध्यम से हमें दें हम अवश्य उनके कॉमेंट के आधार पर अपने इस लेख में (आवश्यकता अनुसार) परिवर्तन करेंगे।

Monday 31 August 2020

अल्लाह शब्द संस्कृत से बना है जिसका अर्थ है - देवी

विद्वानों के मतानुसार इस्लाम के अल्लाह शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के शब्द अल्लाह से हुई है। संस्कृत में अल्लाह शब्द का अर्थ होता है देवी। इस संबंध में एक उपनिषद भी उपलब्ध है अल्लोपनिषद जिसमें चंडी, भवानी, दुर्गा,तारा, अंबा, पार्वती, गौरी आदि देवी को अल्लाह शब्द से संबोधित किया गया है। जिस प्रकार सनातन धर्म में "या" शब्द का प्रयोग देवियों को पुकारने में किया जाता  हैं। (जैसे कि - " या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।" या फिर " या कुंदेंदु तुषार हार धवला या शुभ्र वृस्तावता। या वीणा वर दंड मंडित करा या श्वेत पद्मासना।।" ) ठीक उसी प्रकार से अल्लाह शब्द का प्रयोग करते समय " या " शब्द को पहले रखा जाता है। यानि कि " या अल्लाह "। इस प्रकार अल्लाह शब्द जैसा संस्कृत में उपयोग होता है ठीक उसी प्रकार इस्लाम में भी इसका उपयोग किया जाता है, इसमें कोई परिवर्तन नहीं हुआ है। यह आज भी सनातन धर्म में "या अल्लाह" या फिर "या देवी" कह के पुकारा जाता है और इस्लाम में भी "या अल्लाह" ही कहा जाता है। 



गौरतलब है कि संपूर्ण विश्व में सर्वप्रथम एकमात्र भाषा वैदिक भाषा थी अर्थात संस्कृत भाषा जिसे वैदिक भाषा या देववाणी भी कहा जाता है। पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब को सन 613 ईस्वी के आसपास इस्लाम का ज्ञान प्राप्त हुआ था और इसी समय को (यानि सन ६१३ ईस्वी ) इस्लाम का आरंभ माना जाता है। हालांकि इस समय तक इस्लाम एक नए धर्म के रूप में नहीं देखा जाता था। उस समय मूर्ति पूजन की परंपरा थी और मूर्ति पूजन संस्कृत भाषा में ही होता था। भले ही बोलचाल की भाषा अरबी थी परंतु वैदिक पूजा पद्धति प्रचलित थी। और उनकी पूजा में या अल्लाह शब्द का ही उपयोग होता था। यही कारण है कि इस्लाम में भी " या अल्लाह " शब्द को बरकरार रखा गया अपने इष्ट देव की आराधना के लिए। 



इस लेख में दी गई जानकारी राशिफल गुरु के स्वयं का विचार नहीं है। बल्कि यह जानकारी न्यूज़ पेपर और इंटरनेट पर उपलब्ध जानकारी के आधार पर दी गई है। परन्तु यदि किसी पाठक को ऐसा प्रतीत होता है कि इस लेख में दी गई जानकारी (लिखने में या समझने में) में कुछ कमी है या गलती है तो ऐसे पाठकों से नम्र निवेदन है कि आप अपना विचार कमेंट के माध्यम से हमें दें हम अवश्य उनके कॉमेंट के आधार पर अपने इस लेख में (आवश्यकता अनुसार) परिवर्तन करेंगे। राशिफल गुरु इस बिषय के सच या झूठ होने का दवा (प्रत्यक्ष, परोक्ष या अन्यथा) नहीं करता है। 
Reference 
:http://brahmanjagritimunch.blogspot.com/2011/07/blog-post_08.html
https://www.facebook.com/VHPBDChandigarh/posts/1520649284906232/
http://hamaaraa-bhaarat.blogspot.com/2014/11/some-truth.html#:~:text=29-,%E0%A4%B8%E0%A4%82%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%95%E0%A5%83%E0%A4%A4%20%E2%80%9C%E0%A4%85%E0%A4%B2%E0%A5%8D%E0%A4%B2%3A%20%E2%80%9D%20%3D%20%E0%A4%85%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%A5%20%E0%A4%AD%E0%A4%97%E0%A4%B5%E0%A4%A4%E0%A5%80%20.,%E0%A4%9C%E0%A4%BF%E0%A4%B8%E0%A4%95%E0%A4%BE%20%E0%A4%85%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%A5%20%E0%A4%AD%E0%A4%97%E0%A4%B5%E0%A4%A4%E0%A5%80%20%E0%A4%B9%E0%A5%8B%E0%A4%A4%E0%A4%BE%20%E0%A4%B9%E0%A5%88%20%7C

Thursday 27 August 2020

इस्लाम का नमाज़ शब्द संस्कृत के नमस् से बना है

इस्लाम धर्म की पूजा पद्धति का नाम सलात है। कुरान में इस्लामिक पूजा पद्धति को सलात की संज्ञा दी गई है। परंतु मुसलमान इसे नमाज़ के नाम से जानते हैं और  अल्लाह के सामने नमाज़ अदा करते हैं। नमाज़ शब्द संस्कृत शब्द नमस् (नमः) से बना है। नमस् का पहला उपयोग ऋग्वेद में हुआ है और इसका अर्थ है "आदर और भक्ति में ईश्वर के समक्ष झुक जाना"। गीता के ग्यारहवें अध्याय के इस श्लोक में भी इसका उल्लेख इसप्रकार है - "नमो नमस्तेऽस्तु सहस्रकृत्वः पुनश्च भूयोऽपि नमो नमस्ते"। 



इस संस्कृत भाषा से उत्पन्न शब्द नमस् की यात्रा भारत से प्रारम्भ हुई। जब यह नमस् शब्द ईरान पहुंची (जहाँ प्राचीन फ़ारसी अवेस्ता का प्रचलन था) तो नमस् शब्द का " स् " का उच्चारण " ज़ " में परिवर्तित हो गया और नमस् को नमाज़ कह कर सम्बोधित किया गया। 



गौरतलब है कि फारसी भाषा में लिपि " स् " नहीं होता है इस कारण से " स् " का स्थान " ज़ " ने ले लिया और इस प्रकार नमस् नमाज़ बन गया। इसप्रकार नमाज़ शब्द तुर्की, आज़रबैजान, तुर्केमानिस्तान, किर्गिस्तान, उज्बेकिस्तान, ताजिकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान, पाकिस्तान, भारत, बांग्लादेश, बर्मा, इंडोनेशिया और मलेशिया के मुसलामानों के दिलों में घर कर गई। 


इस लेख में दी गई जानकारी राशिफल गुरु के स्वयं का विचार नहीं है। बल्कि यह जानकारी न्यूज़ पेपर और इंटरनेट पर उपलब्ध जानकारी के आधार पर दी गई है। परन्तु यदि किसी पाठक को ऐसा प्रतीत होता है कि इस लेख में दी गई जानकारी (लिखने में या समझने में) में कुछ कमी है या गलती है तो ऐसे पाठकों से नम्र निवेदन है कि आप अपना विचार कमेंट के माध्यम से हमें दें हम अवश्य उनके कॉमेंट के आधार पर अपने इस लेख में (आवश्यकता अनुसार) परिवर्तन करेंगे। राशिफल गुरु इस बिषय के सच या झूठ होने का दवा (प्रत्यक्ष, परोक्ष या अन्यथा) नहीं करता है।
Reference :
https://www.bbc.com/hindi/india-4040165
https://m.dailyhunt.in/news/india/hindi/azab+gazab-epaper-azabgaz/sanskrit+bhasha+se+nikali+hai+musalamano+ki+namaj+janie+kuch+aur+rochak+bate-newsid-69465009
https://www.newstodaycg.com/newstodaycg-the-word-namaz-comes-from-the-root-word-namah-in-sanskrit-it-means-to-bow-down/
https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A8%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%9C%E0%A4%BC
http://saajha-sarokaar.blogspot.com/2010/03/blog-post.html
https://hi.quora.com/%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%BE-%E0%A4%A8%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%9C-%E0%A4%B6%E0%A4%AC%E0%A5%8D%E0%A4%A6-%E0%A4%95%E0%A5%80-%E0%A4%89%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%AA%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A4%BF
https://jagohindustani.wordpress.com/2017/06/27/%E0%A4%A6%E0%A5%87%E0%A4%B5%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%A3%E0%A5%80-%E0%A4%B8%E0%A4%82%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%95%E0%A5%83%E0%A4%A4-%E0%A4%B8%E0%A5%87-%E0%A4%86%E0%A4%88-%E0%A4%B9%E0%A5%88-%E0%A4%AE/

Wednesday 19 August 2020

चार धाम यात्रा एक कंट्रोवर्सी

चार धाम की यात्रा किसको माना जाए। 
मेरे पेरेंट्स (माता-पिता) ने चार धाम की यात्रा करने की इच्छा जाहिर की, परंतु मुझे चार धाम के बारे में कुछ भी पता नहीं था। इसलिए मैंने गूगल में सर्च करना शुरू किया कि चारधाम किसे कहते हैं और यह कहां स्थित है। मैंने गूगल पर सैकड़ों लेख पढ़ें, मैप देखें, अपने ओर से सारे प्रयत्न कर लिए इसके बाद कुछ शास्त्रों से भी संदर्भ लिया परंतु मेरी दुविधा खत्म नहीं हुई मेरी दुविधा निम्न प्रकार की है
१. भारत के उत्तराखंड राज्य में स्थित गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ की यात्रा जिसे कि आजकल छोटी चार धाम की यात्रा कहते हैं।
गंगोत्री (गंगा नादि का उद्गम स्थल)
यमुनोत्री (यमुना नादि का उद्गम स्थल)
केदारनाथ (शिव ज्योतिर्लिंग का मंदिर)
बद्रीनाथ (विष्णु जी का मंदिर - जहाँ भगवान बिष्णु के अंश नर और नारायण की तपस्यास्थली है)
या फिर 
२. बद्रीनाथ, जगन्नाथ, रामेश्वरम और द्वारका को चार धाम की यात्रा माने। 
बद्रीनाथ जो कि भगवान विष्णु के अंश नर और नारायण की तपोस्थली है वहां पर रामायण काल में अर्थात त्रेता युग में भगवान राम ने विष्णु भगवान की स्थापना की और मंदिर बनवाई थी जिसे बद्रीनाथ मंदिर (धाम) कहते हैं। 
त्रेता युग में ही श्री राम ने लंका पति रावण से युद्ध शुरू करने से पहले भारत के दक्षिणी छोर पर समुद्र के किनारे भगवान शिव का आवाहन किया था और शिवलिंग की स्थापना की थी जिसे आज रामेश्वरम कहते हैं। 
भगवान विष्णु के आदेश से मालवा के राजा इंद्रद्युम्न ने भगवान विष्णु का एक भव्य मंदिर भारत के पूर्वी तट पर समुद्र के किनारे बनवाया और भगवन बिष्णु की स्थापना की जिसे आज जगन्नाथ पूरी का मंदिर कहते हैं। 
करीब साढ़े चार सौ साल ईसा पूर्व आदि शंकराचार्य ने भारत की सांस्कृतिक एकता को मजबूत करने के उद्देश्य से भारत के चार दिशाओं में चार धामों की स्थापना की। इसी शंदर्भ में आदि शंकराचार्य ने भारत के पश्चिमी तट पर समुद्र के किनारे द्वारका पुरी की स्थापना की। गौरतलब है कि यह द्वारकापुरी भगवान किस कृष्ण के द्वारा बनाई गई द्वारकापुरी द्वापर युग की द्वारकापुरी नहीं है। भगवान कृष्ण द्वारा बनाई गई द्वापर युग की द्वारकापुरी तो समुंदर में समागई (विलीन हो गई)। आज का द्वारकापुरी मात्र सांस्कृतिक एकता को बनाए रखने के उद्देश्य से इसे एक धाम की संज्ञा दी गई है। 
इसप्रकार सतयुग में कोई भी धाम नहीं मिलता है त्रेता युग में दो धाम बनते हैं बद्रीनाथ और रामेश्वरम। द्वापर में हमें फिर से कोई धाम का निर्माण होते हुए नहीं दिखता है। द्वापर के बाद कलयुग में पुनः दो धाम का निर्माण किया जाता है। एक भगवान विष्णु के आदेश से भारत के पूर्वी तट पर मालवा के राजा इंद्रद्युम्न के द्वारा और दूसरा भारत के पश्चिमी तट पर एक धाम का निर्माण होता है वह है द्वारकापुरी जिसका निर्माण आदि शंकराचार्य द्वारा भारत की सांस्कृतिक एकता के उद्देश्य से किया जाता है। 
प्रिय पाठक गण इस लेख को पूरा करने का काम अब आपका है आप अपने कमेंट के माध्यम से इस लेख की कमियों को पूरा कर दीजिए आपसे यही हमारी विनती है। 
कृपा करके इस लेख को शेयर अवश्य करें जिससे कि दूसरे लोग भी इस लेख के बारे में अपने विचार व्यक्त कर सकें। 

Wednesday 12 August 2020

Controversy - रामभक्त हनुमानजी की तीन पत्नियां और एक पुत्र फिर भी कहलाते बाल ब्रह्मचारी

हम अक्सर कहते हैं बाल ब्रह्मचारी हनुमान जी। बाल ब्रह्मचारी से मेरा तात्पर्य है कि जिसकी शादी नहीं हुई हो और जो किसी स्त्री के साथ का अनुभव न रखा हो। लेकिन क्या आपको पता है बाल ब्रह्मचारी, राम भक्त हनुमानजी (जिन्हे बजरंगबली, मारुती, पवनसुत, केशरीनंदन और अनेकों नाम से जाना जाता है और जो रामायण काव्य में एक मुख्य पात्र है) के बारे में कि हनुमान जी की तीन शादियां हुई थी। उनकी तीन पत्नियां थी व एक पुत्र था इसके बावजूद भी हनुमान जी एक बाल ब्रह्मचारी पुरुष थे। आइए इसके बारे में हम थोड़ा विस्तार से जान लें क्योंकि यह अत्यंत ही रुचिकर विषय है। 
उनके तीनों पत्नियों के नाम इस प्रकार थे 
सुवर्चला 
आनंगकुसुमा 
सत्यवती 
उनके पुत्र का नाम था मकरध्वज


सत्यता का प्रमाण
पराशर संहीता के अनुसार => हनुमान जी सूर्य देव के शिष्य थे और सूर्य देव ने ही हनुमान जी को विद्या प्रदान किया था। सूर्य देव को कुल 9 विद्या अपने शिष्य हनुमान जी को प्रदान करनी थी लेकिन इसमें से चार विद्या ऐसी थी जो किसी अविवाहित को प्रदान नहीं किया जा सकता था। परन्तु हनुमान जी ठहरे बाल ब्रह्मचारी  और उनके लिए विवाह करना संभव नहीं था और उनको सभी विद्या भी प्रदान भी करनी थी। ऐसी परिस्थिति में सूर्य देव व अन्य देवता गण ने सर्वसम्मति से उनके ब्रह्मचारी स्वरुप को ध्यान में रखते हुए ऐसी स्त्री का खोज करने लगे जोकि ब्रह्मचारी व तपस्वी हो और जिसे शादी विवाह में कोई रुचि ना हो। परंतु वह स्त्री जनकल्याण और सृष्टि की भलाई के उद्देश्य विवाह करने को तैयार हो। सूर्य देव की एक बाल ब्रह्मचारी व तपस्विनी पुत्री थी जिसका नाम था सुवर्चला। जब सुवर्चला पास इस प्रस्ताव को देवताओं ने लाया तो वह उस विवाह के प्रस्ताव को स्वीकार कर ली और तत्पश्चात हनुमान जी और सुवर्चला का विवाह हो गया। इसके बाद सूर्य देव ने बाकी चार विद्याए हनुमान जी को सिखा दिए। इस विवाह का एकमात्र उद्देश्य लोकहित और सृष्टि की कल्याण से जुड़ा था। हनुमान जी ने यह विवाह विद्या प्राप्ति के उद्देश्य से किया था ना कि गृहस्थ जीवन जीने के उद्देश्य से। हनुमान जी इस विवाह के पूर्व भी ब्रह्मचारी थे और विवाह के पश्चात भी ब्रह्मचारी ही रहे। सुवर्चला विवाह के पश्चात पुनः अपने तपस्या में लीन हो गई। 

तेलंगाना राज्य के खम्मम जिले में एक सुप्रशिद्ध हनुमान मंदिर है जहां हनुमान जी व उनकी पत्नी देवी सुवर्चला एक साथ बिराजमान है यह दुनिया का एकमात्र हनुमान मंदिर जहां हनुमान जी को गृहस्थ जीवन में दिखाया गया है। पराशर संहीता में भी इस हनुमान मंदिर का वर्णन मिलता है।

पउम चरित (शाश्त्र) के अनुसार => एक बार वरुण देव और रावण के बीच युद्ध हुआ तो हनुमान जी वरुण देव की प्रतिनिधि के रूप में रावण से युद्ध किया और उसके सभी पुत्रों को बंदी बना लिया। इस इस युद्ध में रावण की हार हुई और वरुण देव युद्ध जीत गए। तत्पश्चात वरुण देव ने हनुमान जी की माता के पास (वरुण देव को यह ज्ञात था कि हनुमान जी बाल ब्रह्मचारी हैं) अपनी पुत्री सत्यवती के विवाह का प्रस्ताव रखा और माता के आदेश के कारण हनुमान जी को सत्यवती से विवाह करना पड़ा। परंतु इसके बाद वह सत्यवती को अपनी बाल ब्रह्मचारी और लोक कल्याण की भावना को बताकर स्वयं को उससे दूर किए और सदैव ब्रम्हचर्य का पालन करते रहे। 

रावण की एक दुहिता थी जिसका नाम था अनंगकुसुमा जो शिवजी की भक्त थी जब उसे पता चला कि हनुमान जी रुद्रावतार है तो वह हनुमान जी से विवाह करने की इच्छा राखी। तब रावण ने दो राष्ट्रों में मित्रता स्थापित करने के उद्देश्य से अनंगकुसुमा का विवाह हनुमान जी से कराया। अनंगकुसुमा ने शिवजी की कृपा पाने के उद्देश्य से एक रुद्रावतार से विवाह कीया क्योंकि अनंगकुसुमा यह ज्ञात था कि हनुमान जी बाल ब्रह्मचारी है। अतः नंगकुसुमा हनुमानजी से विवाह करने के पश्चात शिव भक्ति में लीन हो गई और हनुमान जी बाल ब्रह्मचारी ही रहे। यह एक परिस्थिति की मांग थी जिसमें हनुमान जी को विवाह करना आवश्यक था।  


बाल ब्रह्मचारी हनुमान जी के बारे में तो हम लोगों ने सब कुछ जान लिया कि उनके कितने विवाह हुए थे और कौन कौन उनकी पत्नियां थी। चलिए अब हम उनके पुत्र मकरध्वज के बारे में जानते हैं कि मकरध्वज की उत्पत्ति कब कहां और कैसे हुई। 
हम सभी को पता है रामायण के बारे में। बाल्मीकि रामायण में यह कहा गया है कि लंका दहन के बाद हनुमान जी जब अपने पूछ की आग को बुझाने के लिए समंदर में छलांग लगाई तो छलांग लगाने के समय उनके शरीर से पसीना बह रहा था और वह पसीना समंदर में टपक रहा था और उस पसीना को एक मछली आहार समझकर अपने मुंह में ले लिया और इसी पसीने की वजह से वह मछली गर्भ धारण कर ली। 
कुछ दिनों बाद पताललोक  (पाताल देश) के सैनिकों ने उस मछली को पकड़ लिया और अपने राजा अहिरावण के पास प्रस्तुत किया। कहा जाता है कि अहिरावण रावण का मित्र था अहिरावण के सैनिकों ने उस मछली का वध किया तो उसके पेट में से एक बंदर जैसा बच्चा प्रकट हुआ (निकला) अहिरावण ने उस बच्चे को अपने राज्य का द्वारपाल नियुक्त कर दिया जब राम और लक्ष्मण को अहिरावण ने अपहरण करके पताल पूरी ले गया था और हनुमान जी राम और लक्ष्मण को छुड़ाने के लिए जब पता लोक गए तो द्वारपाल के रूप में उनका सामना मकरध्वज से हुआ। यह वही बचा था जो मत्स्य के पेट से जन्म लिया था और जिसके चलते उसका नाम मकरध्वज पड़ा था। हनुमान जी ने अपना परिचय जब मकरध्वज दिया तब मकरध्वज बताया कि वह हनुमान जी का ही पुत्र है और उन्ही के पसीने से मकरध्वज की माता (मत्स्य) ने गर्भधारण किया था। जब अहिरावण का वध हो गया उस समय हनुमान जी मकरध्वज को पाताल लोक का राजा नियुक्त करके राम और लक्ष्मण को लेकर चले आए। अब यह सवाल उठता है कि रामायण काल के लंका को आज श्रीलंका कहते हैं परंतु यदि पाताल लोक भी था तो उसे आजकल हम क्या कहते हैं। जी हां चलिए हम जानते हैं कि रामायण काल के पताल लोक को आज हम किस नाम से जानते हैं और यह कहां स्थित है। 
रामायण काल का पताल लोक आज मध्य अमेरिकी महाद्वीप में पूर्वोत्तर होंडुरास के जंगलों के नीचे दफन है।


इसकी खोज में 3डी मैपिंग का सहारा लिया गया है और इस तकनीक के सहारे जमीन के अंदर छिपी हुई वस्तुओं को देखा जा सकता है। हालाँकि यह खोज अभी जारी है और कुछ रोचक बातों का पता चलना अभी बाकि है। 

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लकी नंबर ७८६ का अर्थ

इस्लाम धर्म में 786 का मतलब => "बिस्मिल्लाह उर रहमान ए रहीम" होता है अर्थात् अल्लाह का नाम

कुल संख्यात्मक मूल्य (total numerological value)  => इस्लाम धर्म में ‘बिस्मिल्लाह’, यानी कि अल्लाह के नाम को 786 अंक से जोड़कर देखा जाता है इसलिए मुसलमान इसे पाक अर्थात पवित्र एवं भाग्यशाली मानते हैं। कहते हैं यदि ‘बिस्मिल्लाह अल रहमान अल रहीम’ को अरबी या उर्दू भाषा में लिखा जाए और उन शब्दों के संख्यात्मक मूल्यों को जोड़ा जाए तो योग 786 आता है।



कुरआन => गौरतलब है कि "बिस्मिल्लाह उर रहमान ए रहीम" का प्रतिक चिन्ह या अंक ७८६ है ऐसा कुरआन में कहीं नहीं बताया गया है। परन्तु चूँकि ७८६ "बिस्मिल्लाह" के कुल अंकों का योग है। इसी कारन से ७८६ को भाग्यशाली अंक (लकी नंबर) मानाजाता है।

७८६ का जन्म => 786 का जन्म न्यूमैरोलॉजी से हुआ। जब इस्लाम हिंदुस्तान में दस्तक दिया तो हिंदुस्तान के न्यूमैरोलॉजी के विद्वानों ने न्यूरोलॉजी के माध्यम से इस अंक का जन्म दिया यही कारण है कि 786 को भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश और भारत के आसपास के देश के लोग इस अंक को लकी नंबर मानते हैं। जबकि अरब देश के लोग (जहां से कि इस्लाम की शुरुआत हुई) ऐसा नहीं मानते हैं ।



एकता का प्रतीक 786
अंक ज्योतिष के अनुसार 786 को परस्पर जोड़ने पर (7+8+6=21) 21 प्राप्त होता है। अब यदि 21 को भी परस्पर जोड़ा जाए तो 3 प्राप्त होता है। तीन को करीब-करीब सभी धर्मों में शुभ अंक माना जाता है। इस्लाम धर्म में तीन अल्लाह, पैगम्बर और नुमाइंदे की संख्या भी तीन। इसी तरह हिंदू धर्म में तीन महाशक्तियां ब्रह, विष्णु महेश। इसलिए इसे कुदरत की शक्ति के रूप में एकता का प्रतीक माना गया है।




ओम और अल्लाह के लिखावट में सम्बन्ध




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Wednesday 22 April 2020

विवाह के प्रकार

शास्त्रों के अनुसार विवाह आठ प्रकार के होते हैं। विवाह के ये प्रकार हैं- 


ब्रह्म विवाह:
वर - वधु दोनों पक्षों की सहमति से समान वर्ग के सुयोग्य वर से कन्या की इच्छा अनुसार विवाह को ब्रह्म विवाह कहलाते है। उदाहरण के लिए वर्तमान में जिसे हम अरेंज मैरिज कहते हैं इसमें लड़की वाले लड़के के घर जाकर के लड़के वालों से बातचीत करने के बाद लड़की और लड़के का कुंडली मिलान करने के बाद लड़के और लड़की की रजामंदी होने पर विवाह करवाते हैं इसे ब्रह्म विवाह कहते हैं। 

दैव विवाह: किसी प्रकार का सेवा भाव (धार्मिक कार्य या उद्देश्य हेतु) मूल्य के रूप में अपनी कन्या को किसी विशेष वर्ग को देना दैव विवाह कहलाता है। इसमें कन्या की सहमति आवश्यक है। उदाहरण के लिए सूर्य देव के द्वारा सूर्य पुत्री सुवर्चला का विवाह अपने शिष्य हनुमान जी से सृष्टि के कल्याण के लिए करवाना दैव विवाह ही था। 

आर्षविवाह:
कन्या पक्ष वालों को कन्या का मूल्य देकर कन्या से विवाह कर लेना आर्ष विवाह कहलाता है। उदाहरण के लिए (उल्टा दहेज बोल कह सकते हैं) जहां वर पक्ष द्वारा कन्या पक्ष को दहेज देने के बाद कन्या की अनुमति से विवाह होता है। 

प्रजापत्यविवाह:
कन्या की सहमति के बिना माता-पिता द्वारा उसका विवाह करवाना देना प्रजापत्य विवाह कहलाता है। उदाहरण के लिए ऑनर मैरिज को लिया जा सकता है। जहां माता-पिता अपनी मान मर्यादा की बात करते हुए, धर्म, कुल या जाति की बात करती हुई लड़के या लड़की की सहमति के बिना मात्र  सम्मान के लिए एक वेमेल शादी को अंजाम देते हैं। 

गंधर्व विवाह:
इस विवाह का वर्तमान स्वरूप है प्रेम विवाह परिवार वालों की सहमति के बिना वर और कन्या का बिना रीति-रिवाज के आपस में विवाह कर लेना गंधर्व विवाह कहलाता है।

असुर विवाह
कन्या को धन के बदले खरीद कर विवाह कर लेना असुर विवाह कहलाता है।

राक्षस विवाह
कन्या के परिजनों, मित्रों आदि को डरा – धमकाकर, क्षतिग्रस्त करके अथवा उनकी हत्या करके कन्या की इच्छा के बिना उसे प्रताड़ित करके, उसका अपहरण करके जो विवाह किया जाता है, उसे राक्षस विवाह कहते है।उदाहरण के लिए पाकिस्तान में हिंदू लड़कियों का जबरन धर्म परिवर्तन करवाना और उनसे निकाह करना। 

पैशाच विवाह
कन्या की मदहोशी (गहन निद्रा, मानसिक दुर्बलता आदि) का लाभ उठा कर उससे शारीरिक सम्बंध बना लेना और उससे विवाह करना 'पैशाच विवाह' कहलाता है। बलात्कार आदि के बाद सजा आदि से बचने के लिए विवाह करना भी पिशाच विवाह की श्रेणी में आता है।

Tuesday 21 April 2020

Controversy हिन्दुओं में सभी शुभकार्य दिन में होते हैं तो विवाह रात्रि में क्यों

सनातन धर्म में सभी शुभ कार्य दिन में होते हैं सभी पूजा-पाठ भी दिन में होते हैं जैसे की दुर्गा जी का पूजा हो, सरस्वती जी का पूजा हो, गणेश जी का पूजा हो या सूर्य देव की पूजा। सभी शुभ कार्य दिन में होते हैं। सिर्फ डकैत व श्मशान काली की पूजा रात्रि में होता है। तो यहां यह बताना जरूरी होगा कि डकैत काली की पूजा के लिए शुभ घड़ी नहीं देखी जाती है यह किसी भी शनिवार की रात्रि में होता है। डकैत काली की पूजा का उद्देश्य डकैतों से सुरक्षा से सम्बंधित रहा है। श्मशान काली की पूजा अमावस्या की रात्रि में होता है। गौरतलब है कि अमावस्या कोई शुभ दिन या शुभ घड़ी नहीं होता। इस पूजा का उद्देश्य तंत्र सिद्धि और तंत्र सिद्धि से संबंधित हवन व यज्ञ है।

आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानंद सरस्वती ने भी अपनी पुस्तक सत्यार्थ प्रकाश में रात्रि विवाह का पूर्ण खण्डन किया है।  पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य के अनुसार भी हिन्दू गायत्री परिवार में  विवाह दिन में ही सम्पन्न किये जाते हैं!

कहने का तात्पर्य यह है कि कोई भी शुभ काम रात्रि में नहीं किया जाता है तो हिंदुओं का विवाह रात्रि में क्यों होता है क्या आप में से किसी ने इस बात पर गौर किया है। आज हम इसी बात पर चर्चा करेंगे कि हिंदुओं का विवाह रात्रि में क्यों किया जाता है  इसके पीछे क्या कहानी छिपी हुई है।

प्रारंभ में सभी हिंदुओं का विवाह दिन में ही हुआ करता था। चाहे वह सीता जी का स्वयंवर हो या द्रौपदी का स्वयंवर या किसी और का स्वयंवर दिन में ही हुआ करते थे। क्योंकि पहले रात्रि में विवाह का प्रावधान ही नहीं था। रात्रि में विवाह प्रथा पिछले 400 साल से शुरू हुई है इसके पीछे की कहानी इस प्रकार है। 

जब मुग़ल व अन्य मुस्लिम आक्रमणकारी भारत आए तो उन लोगों ने भारतीयों पर बहुत अत्याचार किया हिंदुओं के विवाह के समय पहुंचकर वहां लूटपाट मचाने लगे और विवाह में उपस्थित सभी कुंवारी कन्याओं को बलपूर्वक उठा लेते और उन्हें या तो मुस्लिम बना देते या उनके साथ दुष्कर्म करते इस तरह से जब भी दिन में विवाह होता तो मुस्लिम आक्रमणकारी वहां तबाही मचा देते। अतः हिंदु अपने कई प्राचीन परंपराएं छोड़ने को विवश हो गए। इस प्रकार रात्रि में विवाह करने की प्रथा हिंदुओं में शुरू हुई। 

भारतीय इतिहास में सबसे पहली बार रात्रि में विवाह सुन्दरी और मुंदरी नाम की दो ब्राह्मण बहनों का हुआ था, जिनकी विवाह दुल्ला भट्टी ने अपने संरक्षण में दो ब्राह्मण युवकों से कराया था। उसके बाद मुस्लिम आक्रमणकारियों के आतंक से बचने के लिए हिन्दू रात के अँधेरे में विवाह करने पर विवश हो गए।

जब महाराजा रंजीत सिंह का राज फिल्लौर से लेकर काबुल तक फ़ैलगया तब उनके सेनापति हरीसिंह नलवा ने सनातन वैदिक परम्परा के अनुसार दिन में खुले आम विवाह करने और उनको सुरक्षा देने की घोषणा की थी। तब से पंजाब में फिर से दिन में विवाह का प्रचालन शुरू हुआ। पंजाब में अधिकांश विवाह आज भी दिन में ही होते हैं।

महाराष्ट्र, तमिलनाडु, आंध्र, कर्नाटक, केरल, असम, मणिपुर, नागालैंड, त्रिपुरा एवम् अन्य राज्य भी धीरे धीरे अपनी जड़ों की ओर लोटने लगे हैं। अर्थात इन प्रदेशों में दिन में विवाह होते हैं।

संदर्भ : यह इतिहास कथा विभिन्न पुस्तकों, जनश्रुति एवं इंटरनेट से प्राप्त की गई सूचनाओं पर आधारित है l


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Monday 20 April 2020

CORONA कोरोना का इलाज लहसुन

कोरोना या कोई भी महामारी हो लहसुन एक रामबाण इलाज है किसी भी तरह की महामारी या बीमारी में लहसुन एक कारगर इलाज होता है।(लहसुन से कौन कौन सी समस्या का समाधान संभव है या लहसुन में कौन कौन से तत्वा होते है यह इस लेख में निचे की ओर है) यहाँ हम कोरोना से बचने के लिए लहसुन का सेवन कैसे करना है उसपर चर्चा कर रहे है। आप जब भी बाहर से घर आए तो सबसे पहले 4-5 लहसुन (कच्चा लहसुन) की कली (लहसुन के गांठ की बात नहीं कर रहा हूं) मै लहसुन के कली की बात कर रहा हूं 4-5 लहसुन के कली को नमक के साथ चबाकर खाएं और गर्म पानी पी ले इससे कोरोना के जीवाणु (virus ) या अन्य कोई भी बीमारी या महामारी के जीवाणु

Sunday 19 April 2020

ध्यान रखने योग्य बाते

●शुक्रवार को हजामत बनवाएं।

●ताँबे और लोहे का छल्ला एक साथ न पहने ।

● घर के सभी लोग एक साथ घर से बाहर न निकले ।

● घर खाली हाथ वापस न आये ।

● पूजा का दीपक रोजाना दो लौग डालकर ही जलाये ।

● पूजा के बाद घंटा + शंख अवश्य बजाए ।

Saturday 18 April 2020

पितृदोष निवारण

जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है पितृदोष यानी हमारे पूर्वजों का ठीक से श्राद्ध कर्म ना होने के कारण घर में आने वाली परेशानी। पितृदोष है या नहीं ये किसी इंसान की कुंडली से भी पता किया जाता है। इसका सीधा तरीका है कि अगर कुंडली में सूर्य या चंद्रमा के साथ राहु-केतु में से कोई एक ग्रह बैठा हो तो इसे पितृदोष कहा जाता है। नीचे दिए गए ५ में से किसी भी एक उपायों को कर लेने से पितृदोष से राहत मिलती है।

Friday 17 April 2020

सामुद्रिक शास्त्र में शुभाशुभ लक्षण

जातक, रमल, केरलीय प्रश्न आदि अंगों की तरह सामुद्रिक शास्त्र भी ज्योतिषशास्त्र का एक महत्त्वपूर्ण अंग है। पौराणिक आचार्यों का कथन है कि भगवान विष्णु ने सामुद्रिक नामक ब्राह्मण का अवतार लेकर जो फल
कथन किया है उसे सामुद्रिक शास्त्र कहा गया है। कुछ अन्य लोगों का मत है कि समुद्र में शयन करने वाले भगवान विष्णु और लक्ष्मी के सौन्दर्य तथा शुभ लक्षणों को देखकर समुद्रदेव ने ही इस शास्त्र का निर्माण किया है।

हालाँकि कुछ लोगों का मत है कि समस्त शास्त्र भगवान शिव से उत्पन्न हैं और शिव ही त्रिभुवन गुरु हैं। अत: शंकर जी ने प्राणियों के शुभाशुभ लक्षणों का जो वर्णन पार्वती जी से किया था वही

Thursday 16 April 2020

मोरपंख के चमत्कारिक गुण

मोरपंख को हम सभी जानते व पहचानते है परन्तु क्या ये पता है कि मोरपंख का ज्योतिष में क्या बताया गया है। तो चलिये आज हम मोरपंख के अद्भुत लाभों की चर्चा करेंगे जो शायद ही आप को पता हो। 

१. जो व्यक्ति अपने घर में दो मोरपंख रखता हैं, उस परिवार में कभी फूट पैदा नहीं होती है घर में दो मोरपंख रखने से घर में लड़ाई - झगड़े नहीं होते हैं और परिवार साथ मिल ख़ुशी- ख़ुशी रहता है। 

२. जो व्यक्ति अपने साथ हमेशा मोरपंख रखता हैं उसके साथ कभी कोई दुर्घटना नहीं होती है। मोरपंख सदैव अपने पास रखने से भाग्य प्रबल हो जाता हैं और किसी भी दुर्घटना से रक्षा होती है।

Wednesday 15 April 2020

फिटकरी के ज्योतिषीय चमत्कार

फिटकरी प्रकृति द्वारा प्रदान की गई एक ऐसा खनिज है जो कि अनेक प्रकार से मानवजीवन को प्रभावित करता है। फिटकरी जल (पानी में मिलाकर पानी साफ करना ) शुद्धिकरण, रक्त में थक्का बबने (यदि कहीं काट जाए या खरोच जाए तो फिटकरी लगाने से खून जम जाता है) तथा अनेक प्रकार के औषधीयों में फिटकरी उपयोग होता है। ज्योतिष भी फिटकरी के प्रभाव से अछूता नहीं है। तो यहाँ हम फिटकरी के ज्योतिषीय चमत्कार की चर्चा करेंगे।



बुरे स्वप्न से छुटकारा :

Tuesday 14 April 2020

नींबू के ज्योतिषीय चमत्कार

नींबू का एक या दो उपयोग साधारणतः सभी को पता है परन्तु नींबू का अनेकों तांत्रिक व सात्विक उपयोग किया जाता है क्योंकि ये उपयोग फलदायी हैं। तो आइये हम नींबू के सात्विक उपयोग के बारे में चर्चा करते है जो की अत्यंत चमत्कारी व फलदायी हैं।

बुरी नजर निवारण : 
साधारणतः हम देखते है कि दुकानों में हरी मिर्च के साथ एक नींबू टंगा होता है। इसका कारन यह है कि नींबू बुरी नजर को सोख लेता है। माना जाता है कि नींबू का खट्टा और मिर्च का तीखा स्वाद बुरी नजर वाले व्यक्ति की एकाग्रता भंग कर देता है। जिससे वह अधिक समय तक घर या दुकान को नहीं देख पाता है।

Monday 13 April 2020

छींक विचार Chhink Vichar

छींक आना वैसे तो एक शारीरिक क्रिया है, परंतु इसे प्राचीन समय से ही अनेक अर्थों में लिया जाता रहा है। उदाहरण के लिए, एक छींक आई तो अशुभ है परन्तु दो छींक आई तो शुभ, जाते हुए आई तो अशुभ, आदि। प्राय: नजला-जुकाम होने पर छींक अधिक आती है, एक के बाद एक छींक आती ही रहती है। लेकिन इस प्रकार की छींक को किसी संकेत से नहींं जोड़ा जाता है। जो छींक अचानक आती है, उसी से प्राय: शुभ-अशुभ का अनुमान लगाया जाता है। तो आज हम छींकने के शुभ अशुभ फल के बारे में चर्चा करेंगे।

Sunday 12 April 2020

शकुन-अपशकुन

शकुन शास्त्र भारतीय साहित्य का बहुत प्राचीन ग्रंथ है। इस ग्रंथ में हमारे दैनिक जीवन में होने वाली छोटी-मोटी घटनाओं के संबंध में विस्तृत वर्णन मिलता है।यदि कोई शकुन होता है तो सफलता और सुख मिलता है, जबकि अपशकुन होने पर दुख और असफलता मिलने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। इसके साथ ही इस ग्रंथ में कुछ ऐसे अपशकुनों के बारे में भी बताया गया है जो भविष्य में आने वाली किसी बड़ी समस्या के बारे में हमें सूचित करते हैं। आज हम आपको कुछ ऐसे ही शकुन-अपशकुन के बारे में चर्चा करेंगे।



राशिफल गुरु द्वारा कराए गए एक सर्वे के अनुसार - शकुन-अपशकुन

सुबह सो कर उठने के साथ जोड़ा (दो) मैना देखना शुभ होता है। यदि आप किसी परीक्षा प्रतियोगिता या किसी बिशेष कार्य को करने जा रहे है और जोड़ा (दो) मैना दिख जाए तो निश्चित ही कार्य सफल होगा। इसमें कोई संसय नहीं। 

Saturday 11 April 2020

स्वस्तिक का अर्थ, महत्व, प्रयोग व लाभ




स्वस्तिक का अर्थ, महत्व, प्रयोग व लाभ


स्वस्तिक का अर्थ : 

१. स्वस्तिक शब्द को 'सु' एवं 'अस्ति' का मिश्रण योग माना जाता है। 'सु' का अर्थ है शुभ और 'अस्ति' का अर्थ है- होना अर्थात 'शुभ हो', 'कल्याण हो'। स्वस्तिक अर्थात शुभ मंगल कलनेवाला।

Friday 10 April 2020

ॐ का अर्थ व महत्व

ॐ का अर्थ व महत्व - 'ॐ ' शब्द में निम्न समाहित हैं -

अ + उ + म = ॐ 

अ से अज यानी ब्रह्मा - जो ब्रह्माण्ड अर्थात सृष्टि के रचयिता है और जिनका काम जन्म देने से होता है। 
उ से उनन्द यानी विष्णु - जो सृष्टि के पालनहार है और इनका काम सृष्टि का पालन करना है। 
म से महेश यानी शिव - जो सृष्टि के संहार अर्थात सृष्टि में बदलाव के लिए विघटन का कार्य करते है।

ॐ का सही उच्चारण (pronunciation)

Thursday 9 April 2020

Disha Shool दिशाशूल

शूल मतलब बाधा, रोक, रुकावट, मनाही इत्यादि। 
दिशा शूल का अर्थ - उक्त दिशा की ओर जाने (यात्रा) की मनाही। किसी भी दिन के लिए किसी निश्चित दिशा में जाने की मनाही को दिशाशूल कहा गया है। क्योकि उक्त दिशा में दिशा शूल के दिन यात्रा करने से यात्रा में समस्या, दुर्घटना, हानि, जैसे घटनाएं जुड़ी होती हैं। इसलिए दिशा शूल होने पर यथा संभव यात्रा को टाल देना चाहिए।

सोम सनीचर पूरब न चालू 
मंगल बुध उत्तर दिशा कालू 
रवि शुक्र जो पश्चिम जाए हानि होय पथ सुख नहीं पाए