ॐ का अर्थ व महत्व - 'ॐ ' शब्द में निम्न समाहित हैं -
अ + उ + म = ॐ
अ से अज यानी ब्रह्मा - जो ब्रह्माण्ड अर्थात सृष्टि के रचयिता है और जिनका काम जन्म देने से होता है।
उ से उनन्द यानी विष्णु - जो सृष्टि के पालनहार है और इनका काम सृष्टि का पालन करना है।
म से महेश यानी शिव - जो सृष्टि के संहार अर्थात सृष्टि में बदलाव के लिए विघटन का कार्य करते है।
ॐ का सही उच्चारण (pronunciation)
ओम होता है। हालाँकि कुछ लोग ओं का उच्चारण करते है जो की किसी भी तरह से सही नहीं है।
ॐ का उच्चारण करने से ब्रह्मा, विष्णु व महेश का आवाहन होता है।
यही कारन है कि न सिर्फ भारत में बल्कि पूरी दुनिया में न सिर्फ वैदिक मतालम्बी व सनातनी बल्कि कई अन्य मतालम्बी जैसे जैन मतालम्बी, बैष्णो मतालम्बी आदि भी किसी भी कार्य का प्रारम्भ ॐ शब्द से करते है।
अ + उ + म = ॐ
अ से अज यानी ब्रह्मा - जो ब्रह्माण्ड अर्थात सृष्टि के रचयिता है और जिनका काम जन्म देने से होता है।
उ से उनन्द यानी विष्णु - जो सृष्टि के पालनहार है और इनका काम सृष्टि का पालन करना है।
म से महेश यानी शिव - जो सृष्टि के संहार अर्थात सृष्टि में बदलाव के लिए विघटन का कार्य करते है।
ॐ का सही उच्चारण (pronunciation)
ओम होता है। हालाँकि कुछ लोग ओं का उच्चारण करते है जो की किसी भी तरह से सही नहीं है।
ॐ का उच्चारण करने से ब्रह्मा, विष्णु व महेश का आवाहन होता है।
यही कारन है कि न सिर्फ भारत में बल्कि पूरी दुनिया में न सिर्फ वैदिक मतालम्बी व सनातनी बल्कि कई अन्य मतालम्बी जैसे जैन मतालम्बी, बैष्णो मतालम्बी आदि भी किसी भी कार्य का प्रारम्भ ॐ शब्द से करते है।
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