Saturday 18 April 2020

पितृदोष निवारण

जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है पितृदोष यानी हमारे पूर्वजों का ठीक से श्राद्ध कर्म ना होने के कारण घर में आने वाली परेशानी। पितृदोष है या नहीं ये किसी इंसान की कुंडली से भी पता किया जाता है। इसका सीधा तरीका है कि अगर कुंडली में सूर्य या चंद्रमा के साथ राहु-केतु में से कोई एक ग्रह बैठा हो तो इसे पितृदोष कहा जाता है। नीचे दिए गए ५ में से किसी भी एक उपायों को कर लेने से पितृदोष से राहत मिलती है।


ज्योतिष में सूर्य को पिता कहा गया है, चंद्रमा को माता। अगर इन दोनों ग्रहों में से किसी एक के साथ राहु या केतु हों तो ये ग्रह दूषित हो जाते हैं। इसे ही पितृदोष कहा जाता है। अगर पितृदोष हो तो कई सारी समस्याएं आती हैं। इनकी शांति के लिए पितृदोष की पूजा होती है, जिसमें सभी जाने या अनजाने पितरों के लिए तर्पण-श्राद्ध किया जाता है। अगर आपके पास पूजा कराने के लिए समय या संसाधनों का अभाव हो तो आप कुछ छोटे-छोटे उपायों से अपने पितृदोष की शांति कर सकते हैं।

पितृदोष का प्रभाव

१. जिस घर में किसी सदस्य को पितृदोष होता है उस घर में अक्सर कोई ना कोई बीमार रहता है।

२. पितृदोष के कारण घर के बच्चों में हमेशा कलह होता है।

३. जहां पितृदोष होता है वहां संतान पैदा होने में विलंब होता है।

४. बिजनेस में लाभ नहीं होता, उधारी बहुत ज्यादा होती है।

५. इंसान के पैसे उधारी में डूब जाते हैं या बेकार कामों में खर्च हो जाते हैं।


पितृदोष निवारण  - इनमें से किसी भी एक उपाय से मिटा सकते हैं पितृदोष

१. घर में श्रीमद्भगवत के गजेंद्र मोक्ष अध्याय का पाठ करें।

२. हर चतुर्दशी (अमावस्या और पूर्णिमा के एक दिन पहले) को पीपल पर दूध चढ़ाएं।

३. सवा किलो चावल लाकर रोज अपने ऊपर से एक मुट्ठी चावल सात बार उतारकर पीपल की जड़ में डाल दें। ऐसा लगातार 41 दिन करें।

४. अपने मृतक रिश्तेदारों के निमित्त मंदिर में या ब्राह्मणों को दान दें।

५. काले कुत्ते को उड़द के आटे से बने बड़े खिलाएं हर शनिवार को।

इनमें से कोई भी एक उपाय आपको पितृदोष से मुक्ति दिलाएगा।

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