ग्रह
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ग्रह से सम्बंधित अंग और अशुभ होने पर रोग
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सूर्य
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हड्डियाँ व दांई आँखें, पेट, हृदय, त्वचा, सिर तथा व्यक्ति का शारीरिक गठन - सिर में दर्द, आंखों का रोग तथा टाइफाइड, मस्तिष्क रोग, कोढ़।
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चन्द्रमा
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मन, खून, तरल पदार्थ, ह्रदय, फेफड़े, बांई आँख, छाती, दिमाग,भोजन नली, आंतो, गुरदे व लसीका वाहिनी - खांसी, नजला, जुकाम, गर्भाशय के रोग, नींद कम आने की बीमारी, बुद्धि मंद, दमा, अतिसार, खून की कमी, जल से होने वाले रोग, बहुमूत्र, उल्टी, महिलाओ में माहवारी की गड़बड़,अपेन्डिक्स, स्तनीय ग्रंथियों के रोग, कफ तथा सर्दी से जुड़े रोग, अंडवृद्धि।
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मंगल
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रक्त, मज्जा, ऊर्जा, गर्दन, रगें, गुप्तांग, गर्दन, लाल रक्त कोशिकाएँ, गुदा, स्त्री अंग तथा शारीरिक शक्ति, सिर के रोग, विषाक्तता, चोट लगना व घाव होना, आँखों का दुखना, कोढ़, खुजली, रक्तचाप, ऊर्जाशक्ति का ह्रास, स्त्री अंगों के रोग, हड्डी का चटक जाना, फोडे़-फुंसी, कैंसर, टयूमर, बवासीर, माहवारी बिगड़ना, छाले होना, आमातिसार, गुदा के रोग, चेचक, भगंदर तथा हर्णिया आदि रोग।
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बुध
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त्वचा, नसें, छाती, स्नायु तंत्र, नाभि, नाक, गाल ब्लैडर, फेफड़े, जीभ, बाजु, चेहरा, बाल - छाती व स्नायु से जुड़े रोग, मिर्गी, नाक व गाल ब्लैडर के रोग, टायफाईड, पागलपन, लकवा, दौरे पड़ना, अल्सर, कोलेरा, चक्कर आना आदि रोग, हृदय रोग, बुद्धि से संबंधित परेशानी, त्वचा रोग
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गुरु
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वसा, दांत, जांघे, चर्बी, मस्तिष्क, जिगर, गुरदे, फेफड़े, कान, जीभ, स्मरणशक्ति, स्पलीन - बुद्धि से संबंधित परेशानी, दांतों से सम्बंधित रोग, कानों के रोग, बहुमूत्र, जीभ लड़खड़ाना, स्मरणशक्ति कमजोर हो जाना, पेनक्रियाज से जुड़े रोग, स्पलीन व जलोदर के रोग, पीलिया, टयूमर, मूत्र में सफेद पदार्थ का आना, रक्त विषाक्त होना, अजीर्ण व अपच होना, फोड़ा फुंसी। डायबिटिज।
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शुक्र
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शुक्राणु, प्रजनन क्षमता, चेहरा, आंखों की रोशनी, गुप्तांग, मूत्र, वीर्य, शरीर की चमक व आभा, गला, शरीर व ग्रंथियों में जल होना, ठोढ़ी, किडनी - समस्त यौन रोग, त्वचा रोग, किडनी से संबंधित रोग, आँखों की रोशनी का कमजोर होना, यौन रोग, गले की बीमारियाँ, शरीर की चमक कम होना, नपुंसकता, बुखार व ग्रंथियों में रोग होना, सुजाक रोग, उपदंश, गठिया, रक्त की कमी होना आदि रोग
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शनि
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स्नायु, टांगे, जोड़ो की हड्डियाँ, मांस पेशियाँ, अंग, दांत, त्वचा व बाल, कान, घुटने - पेट के विकार, शारीरिक कमजोरी, मांस पेशियों का कमजोर होना, पेटदर्द, अंगों का घायल होना, त्वचा व पाँवों के रोग, जोड़ो का दर्द, अंधापन, बाल रुखे होना, मानसिक चिन्ताएँ होना, लकवा मार जाना, बहरापन
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राहु
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पांव, स्नायु प्रणाली, पेट के विकार, सांस लेना, गरदन, फेफडो की परेशानियाँ, पाँवो से जुड़े रोग, अल्सर, कोढ़, सांस लेने में तकलीफ, फोड़ा फुंसी, मोतियाबिन्द, हिचकी, हकलाना, स्पलीन का बढ़ना, विषाक्तता, दर्द होना, अण्डवृद्धि, कैंसर।
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केतु
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गैस, वायु, पेट के विकार, उदर, पंजे, फेफड़ो से संबंधित बीमारियाँ, बुखार, आँतों में कीड़े , वाणी दोष, कानों में दोष, आँखों का दर्द, पेट दर्द, फोड़े, शारीरिक कमजोरी, मस्तिष्क के रोग, वहम होना, न्यून रक्तचाप, केतु के कारण कुछ रोग ऎसे भी होते हैं जिनके कारणों का पता कभी नहीं चल पाता है।
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