Thursday 9 April 2020

Disha Shool दिशाशूल

शूल मतलब बाधा, रोक, रुकावट, मनाही इत्यादि। 
दिशा शूल का अर्थ - उक्त दिशा की ओर जाने (यात्रा) की मनाही। किसी भी दिन के लिए किसी निश्चित दिशा में जाने की मनाही को दिशाशूल कहा गया है। क्योकि उक्त दिशा में दिशा शूल के दिन यात्रा करने से यात्रा में समस्या, दुर्घटना, हानि, जैसे घटनाएं जुड़ी होती हैं। इसलिए दिशा शूल होने पर यथा संभव यात्रा को टाल देना चाहिए।

सोम सनीचर पूरब न चालू 
मंगल बुध उत्तर दिशा कालू 
रवि शुक्र जो पश्चिम जाए हानि होय पथ सुख नहीं पाए 

बियफे को दक्षिण करे पयाना ताको समझो फिर नहीं आना। 

आइए विस्तार से समझने की कोशिश करते है कि कौन से दिन हमें किस दिशा में  नही जाना चाहिए। 

सोमवार और शनिवार को पूर्व दिशा
रविवार और शुक्रवार को पश्चिम दिशा
मंगल वार और बुधवार को उत्तर दिशा
गुरु वार को दक्षिण दिशा
सोमवार और गुरूवार को दक्षिण – पूर्व (अग्ने ) South East
रविवार और शुक्रवार को दक्षिण – पश्चिम (नेतरअगये ) South West
मंगलवार को उत्तर – पश्चिम (वायव्य ) North West
बुध और शनि को उत्तर – पूर्व (ईशान ) North East
ध्यान दें कि बुध ग्रह उत्तर दिशा का स्वामी होते हुए भी बुधवार को उत्तर दिशा की यात्रा निषेध है.

विशेष ध्यान देने योग्य बात
यदि एक जगह से रवाना हो कर उसी दिन गंतव्य स्थान पर पहुंचं जाना तय हो तो ऐसी यात्रा में तिथि, वार नक्षत्र,दिशा-शूल,प्रतिशुक,योगनी आदि का विचार नहीं होता है। 


दिशा-शूल के समाधान यानी आपातकालीन यात्रा कैसे करें- यदि किसी कारन वश दिशा शूल में आपातकालीन यात्रा करनी ही पड़े तो नीचे  लिखे उपाए कर के यात्रा कर सकते है। 

सोमार शीशा मंगर मीठा बुध धनिया बियफे जीरा शुक दही शनिचर आदि इतवार पान। अर्थात -


* रविवार को यदि पश्चिम दिशा में जाना ही पड़े तो दलिया व घी या पान खाकर निकलना चाहिए। इससे दिशाशूल का प्रभाव कम हो जाता है।

* सोमवार को यदि पूरब दिशा में जाना ही पड़े तो निकलते समय घर का शीशा (दर्पण) में अपना चेहरा जरूर देखें। इससे दिशाशूल का प्रभाव कम हो जाता है।

*  मंगलवार को यदि उत्तर दिशा में जाना ही पड़े तो निकलते समय गुड़ खाकर निकलना चाहिए। इससे दिशाशूल का प्रभाव कम हो जाता है।

* बुधवार को यदि उत्तर दिशा में जाना ही पड़े तो निकलते समय धनिया या तिल खा कर निकलना चाहिए। इससे दिशाशूल का प्रभाव कम हो जाता है।

* गुरुवार को यदि दक्षिण दिशा में जाना ही पड़े तो निकलते समय जीरा या दही खा कर निकलना चाहिए। इससे दिशाशूल का प्रभाव कम हो जाता है।

* शुक्रवार को यदि पश्चिम दिशा में जाना ही पड़े तो निकलते समय जौ या दही खा कर निकलना चाहिए। इससे दिशाशूल का प्रभाव कम हो जाता है।

* शनिवार को यदि पूरब दिशा में जाना ही पड़े तो निकलते समय अदरक या उड़द खाकर प्रस्थान करना चाहिए।इससे दिशाशूल का प्रभाव कम हो जाता है।

उक्त कार्य करके दिशा शूल के प्रकोप से बचा या काम किया जा सकता है और आप अपनी यात्रा को सुखद और मंगलमय बना सकते है। 


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