Wednesday 22 April 2020

विवाह के प्रकार

शास्त्रों के अनुसार विवाह आठ प्रकार के होते हैं। विवाह के ये प्रकार हैं- 


ब्रह्म विवाह:
वर - वधु दोनों पक्षों की सहमति से समान वर्ग के सुयोग्य वर से कन्या की इच्छा अनुसार विवाह को ब्रह्म विवाह कहलाते है। उदाहरण के लिए वर्तमान में जिसे हम अरेंज मैरिज कहते हैं इसमें लड़की वाले लड़के के घर जाकर के लड़के वालों से बातचीत करने के बाद लड़की और लड़के का कुंडली मिलान करने के बाद लड़के और लड़की की रजामंदी होने पर विवाह करवाते हैं इसे ब्रह्म विवाह कहते हैं। 

दैव विवाह: किसी प्रकार का सेवा भाव (धार्मिक कार्य या उद्देश्य हेतु) मूल्य के रूप में अपनी कन्या को किसी विशेष वर्ग को देना दैव विवाह कहलाता है। इसमें कन्या की सहमति आवश्यक है। उदाहरण के लिए सूर्य देव के द्वारा सूर्य पुत्री सुवर्चला का विवाह अपने शिष्य हनुमान जी से सृष्टि के कल्याण के लिए करवाना दैव विवाह ही था। 

आर्षविवाह:
कन्या पक्ष वालों को कन्या का मूल्य देकर कन्या से विवाह कर लेना आर्ष विवाह कहलाता है। उदाहरण के लिए (उल्टा दहेज बोल कह सकते हैं) जहां वर पक्ष द्वारा कन्या पक्ष को दहेज देने के बाद कन्या की अनुमति से विवाह होता है। 

प्रजापत्यविवाह:
कन्या की सहमति के बिना माता-पिता द्वारा उसका विवाह करवाना देना प्रजापत्य विवाह कहलाता है। उदाहरण के लिए ऑनर मैरिज को लिया जा सकता है। जहां माता-पिता अपनी मान मर्यादा की बात करते हुए, धर्म, कुल या जाति की बात करती हुई लड़के या लड़की की सहमति के बिना मात्र  सम्मान के लिए एक वेमेल शादी को अंजाम देते हैं। 

गंधर्व विवाह:
इस विवाह का वर्तमान स्वरूप है प्रेम विवाह परिवार वालों की सहमति के बिना वर और कन्या का बिना रीति-रिवाज के आपस में विवाह कर लेना गंधर्व विवाह कहलाता है।

असुर विवाह
कन्या को धन के बदले खरीद कर विवाह कर लेना असुर विवाह कहलाता है।

राक्षस विवाह
कन्या के परिजनों, मित्रों आदि को डरा – धमकाकर, क्षतिग्रस्त करके अथवा उनकी हत्या करके कन्या की इच्छा के बिना उसे प्रताड़ित करके, उसका अपहरण करके जो विवाह किया जाता है, उसे राक्षस विवाह कहते है।उदाहरण के लिए पाकिस्तान में हिंदू लड़कियों का जबरन धर्म परिवर्तन करवाना और उनसे निकाह करना। 

पैशाच विवाह
कन्या की मदहोशी (गहन निद्रा, मानसिक दुर्बलता आदि) का लाभ उठा कर उससे शारीरिक सम्बंध बना लेना और उससे विवाह करना 'पैशाच विवाह' कहलाता है। बलात्कार आदि के बाद सजा आदि से बचने के लिए विवाह करना भी पिशाच विवाह की श्रेणी में आता है।

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