Wednesday 19 August 2020

चार धाम यात्रा एक कंट्रोवर्सी

चार धाम की यात्रा किसको माना जाए। 
मेरे पेरेंट्स (माता-पिता) ने चार धाम की यात्रा करने की इच्छा जाहिर की, परंतु मुझे चार धाम के बारे में कुछ भी पता नहीं था। इसलिए मैंने गूगल में सर्च करना शुरू किया कि चारधाम किसे कहते हैं और यह कहां स्थित है। मैंने गूगल पर सैकड़ों लेख पढ़ें, मैप देखें, अपने ओर से सारे प्रयत्न कर लिए इसके बाद कुछ शास्त्रों से भी संदर्भ लिया परंतु मेरी दुविधा खत्म नहीं हुई मेरी दुविधा निम्न प्रकार की है
१. भारत के उत्तराखंड राज्य में स्थित गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ की यात्रा जिसे कि आजकल छोटी चार धाम की यात्रा कहते हैं।
गंगोत्री (गंगा नादि का उद्गम स्थल)
यमुनोत्री (यमुना नादि का उद्गम स्थल)
केदारनाथ (शिव ज्योतिर्लिंग का मंदिर)
बद्रीनाथ (विष्णु जी का मंदिर - जहाँ भगवान बिष्णु के अंश नर और नारायण की तपस्यास्थली है)
या फिर 
२. बद्रीनाथ, जगन्नाथ, रामेश्वरम और द्वारका को चार धाम की यात्रा माने। 
बद्रीनाथ जो कि भगवान विष्णु के अंश नर और नारायण की तपोस्थली है वहां पर रामायण काल में अर्थात त्रेता युग में भगवान राम ने विष्णु भगवान की स्थापना की और मंदिर बनवाई थी जिसे बद्रीनाथ मंदिर (धाम) कहते हैं। 
त्रेता युग में ही श्री राम ने लंका पति रावण से युद्ध शुरू करने से पहले भारत के दक्षिणी छोर पर समुद्र के किनारे भगवान शिव का आवाहन किया था और शिवलिंग की स्थापना की थी जिसे आज रामेश्वरम कहते हैं। 
भगवान विष्णु के आदेश से मालवा के राजा इंद्रद्युम्न ने भगवान विष्णु का एक भव्य मंदिर भारत के पूर्वी तट पर समुद्र के किनारे बनवाया और भगवन बिष्णु की स्थापना की जिसे आज जगन्नाथ पूरी का मंदिर कहते हैं। 
करीब साढ़े चार सौ साल ईसा पूर्व आदि शंकराचार्य ने भारत की सांस्कृतिक एकता को मजबूत करने के उद्देश्य से भारत के चार दिशाओं में चार धामों की स्थापना की। इसी शंदर्भ में आदि शंकराचार्य ने भारत के पश्चिमी तट पर समुद्र के किनारे द्वारका पुरी की स्थापना की। गौरतलब है कि यह द्वारकापुरी भगवान किस कृष्ण के द्वारा बनाई गई द्वारकापुरी द्वापर युग की द्वारकापुरी नहीं है। भगवान कृष्ण द्वारा बनाई गई द्वापर युग की द्वारकापुरी तो समुंदर में समागई (विलीन हो गई)। आज का द्वारकापुरी मात्र सांस्कृतिक एकता को बनाए रखने के उद्देश्य से इसे एक धाम की संज्ञा दी गई है। 
इसप्रकार सतयुग में कोई भी धाम नहीं मिलता है त्रेता युग में दो धाम बनते हैं बद्रीनाथ और रामेश्वरम। द्वापर में हमें फिर से कोई धाम का निर्माण होते हुए नहीं दिखता है। द्वापर के बाद कलयुग में पुनः दो धाम का निर्माण किया जाता है। एक भगवान विष्णु के आदेश से भारत के पूर्वी तट पर मालवा के राजा इंद्रद्युम्न के द्वारा और दूसरा भारत के पश्चिमी तट पर एक धाम का निर्माण होता है वह है द्वारकापुरी जिसका निर्माण आदि शंकराचार्य द्वारा भारत की सांस्कृतिक एकता के उद्देश्य से किया जाता है। 
प्रिय पाठक गण इस लेख को पूरा करने का काम अब आपका है आप अपने कमेंट के माध्यम से इस लेख की कमियों को पूरा कर दीजिए आपसे यही हमारी विनती है। 
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