Sunday 14 August 2022

बिभीषण रावण के भाई परन्तु दशरथ के पुत्र थे और रावण के मृत्यु का कारण भी


रावण संसार का सबसे ज्ञानी ब्राह्मण था। रावण जैसा न तो कोई ज्ञानी जन्म लिया और न ही शायद जन्म ले पाएगा।  रावण पूरे संसार में सबसे ज्ञानी था उसे भूत वर्तमान भविष्य सब कुछ पता था। उसको उसकी मृत्यु का भी ज्ञान था।  उसको यह ज्ञान था कि उसकी मृत्यु भगवान के हाथ से होगी परंतु उसकी मृत्यु का कारण दशरथ का पुत्र बनेगा।  

रावण के मृत्यु का कारण दशरथ का पुत्र बनेगा जब रावण को इस बात का पता चला कि राजा दशरथजी का पुत्र ही उनकी मृत्यु का कारण बनेगा तब रावण ने घोर तपस्या की और ब्रह्मा जी से यह वरदान मांगा कि दशरथ को कभी कोई सन्तान ना हो और ब्रह्मा जी ने रावण को इस बात का वरदान दे दिया लेकिन रावण को बिश्वाश नहीं हुआ तो उसने ब्रम्हाजी से कहा कि हे ब्रह्मा जी आपने मुझे यह वरदान तो दिया कि दशरथ को कभी कोई संतान नहीं होगा परन्तु यह कैसे संभव है जब दशरथ के शरीर में संतान उत्पत्ति की संपूर्ण शक्ति (वीर्य ) बिद्यमान है। अतः आप उसके शरीर का संपूर्ण वीर्य निकाल कर मुझे दे दीजिए ताकि मुझे इस बात की संतुष्टि रहे कि अब दशरथ के द्वारा कोई संतान उत्पन्न नहीं होगा। और यदि दशरथ को कोई पुत्र नहीं हुआ तो मेरी मृत्यु का कारण भी उत्पन्न नहीं होगा। ब्रह्मा जी ने तथास्तु कहा और दशरथजी को स्वर्ग बुलवा कर के उनसे बनती किया कि हे रघुकूल के राजा आप अपने शरीर का सम्पूर्ण वीर्य हमें दान कर दीजिए। उसी समय दसरथजी ने अपने शरीर का सम्पूर्ण वीर्य निकाल कर एक कलश में भर के ब्रम्हाजी को दान कर दिया। और तब ब्रह्माजी ने उस कलश को रावण को दे दिया। रावण उस कलश को अपने घर लंका लेकर गया और एक गुप्त स्थान पर छुपा कर रख दिया।

दुर्भाग्यवश रावण की माता को यह कलश हाथ लगगया और रावण की माता को शक हुआ कि शायद यह अमृत का कलश है जो कि रावण अपने साथ स्वर्ग से ले आया है और यहां छुपा कर रखा है। रावण की माता का के मन में अमर होने की ईच्छ उत्पन्न होगया और रावण की माता ने उस कलश के संपूर्ण वीर्य को अमृत समझकर पी लिया।दशरथजी का वीर्य पिने के पश्चात रावण की माता ने गर्भ धारण क्र लिया और उस गर्भधारण के पश्चात विभीषण का जन्म हुआ। विभीषण जो कि रावण की माता के गर्भ से जन्म लिया परन्तु वह दसरथजी का वीर्य से रावण की माता के गर्भ में आया था वह दसरथजी का पुत्र था। विभीषण ने ही श्रीराम को बताया कि रावण की नाभि में अमृत कलश है और जब तक अमृत कलस नहीं टूटता तब तक रावण की मृत्यु नहीं हो सकती। आताः  हे प्रभु आप रावण की नाभि में बाण मारे तभी रावण की मृत्यु होगी। 

इस प्रकार से रावण की मृत्यु का कारण दशरथ पुत्र बिभीषण बना।  राम दशरथ के पुत्र नहीं थे। 
दशरथ जी को पता था उनके द्वारा कोई संतान की उत्पत्ति नहीं हो सकती इसलिए उन्होंने ब्रह्मा जी से अपना वीर्य देते समय यह पूछा कि हे ब्रह्मा जी मैं अपना वीर्य तो आपको दे दिया परंतु अब मेरा राज पाठ कौन चलाएगा क्या रधुकुल का अंत हो जायेगा। तब ब्रह्मा जी ने उन्हें वरदान दिया और कहा  कि आप यज्ञ करो और आपके यज्ञ के हवन कुंड से ही आपको चार संतान की प्राप्ति होगी और इस प्रकार ब्रह्मा जी के कथन अनुसार दशरथ जी ने यज्ञ किया और उस यज्ञ के हवन कुंड से प्रगट हुए राम लक्ष्मण भरत और शत्रुघ्न जो कि उनके पुत्र नहीं थे। दशरथजी के पुत्र बिभीषणजी। 

यह बात रामायण लिखी गई है कि "भए प्रगट कृपाला दीन दयाला कौशल्या हितकारी" अर्थात राम लक्ष्मण भरत और शत्रुघ्न प्रगट हुए थे दशरथ के पुत्र एकमात्र विभीषण थे और रावण की मृत्यु का कारण बने थे और रावण को पहले से पता था कि दशरथ पुत्र ही उसकी मृत्यु का कारन होगा। 

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